मध्यप्रदेश में कृषि महत्वपूर्ण तथ्य | madhya pradesh me krashi

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मध्यप्रदेश में कृषि  परिचय (krashi in mp) :

मध्यप्रदेश लगभग 70% जनसंख्या कृषि (krashi) पर निर्भर है | 49% क्षेत्रफल पर कृषि  होती है|

  •  प्रदेश में “कृषि विभाग” का नाम बदलकर “किसान कल्याण तथा कृषि विभाग (Krashi vibhag)” हो गया है
  • सर्वाधिक सिंचित फसल गेहूँ है |
  • सरकार द्वारा वर्ष 1997 में मत्सपालन को बढ़ावा देने के लिए इसे कृषि का दर्जा प्रदान किया है
  • मध्यप्रदेश में कुल बोया गया क्षेत्र 238.17 लाख हेक्टेयर है |
  • शुद्ध बोया गया क्षेत्र 152.52 लाख हेक्टेयर है |
  • शुद्ध बोये गये क्षेत्र में शुद्ध सिंचित क्षेत्र 60.9 प्रतिशत है |

प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार (krishi karman award):

  • मध्यप्रदेश को लगातार पांचवी बार प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है |
  • अप्रेल 2017 में प्रदेश को गेहूँ उत्पादन श्रेणी में प्रथम स्थान पर कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है |
  • वही वर्ष 2015-16 के लिए यह पुरस्कार गेहूँ उत्पादन की श्रेणी में मिला है |
  • प्रदेश को 2 करोड़ रुपये नगद और ट्रॉफी प्रशस्ति-पत्र पुरस्कार मिलेगा |
  • लगातार पांचवी बार इस  पुरस्कार से सम्मानित होने पर प्रदेश कृषि उत्पादन के क्षेत्र में अग्रिम राज्य बन गया है |
  • सर्वाधिक गेहूँ उत्पादन वाले क्षेत्र पंजाब व हरियाणा को भी प्रदेश ने पीछे छोड़ दिया है |
  •  वही इस वर्ष कृषि विकाश दर 25 प्रतिशत रहने का अनुमान है |

कृषि महाविद्यालय (mp agriculture university):

  • मोजुदा सरकार द्वारा होशंगाबाद जिले के पवारखेडा में कृषि महाविद्यालय का निर्माण किया  गया है, जहा मोजुदा समय में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय स्थापित है |
  • विश्वविद्यालय के आंचलिक अनुसंधान केंद्र की 183.287 हेक्टेयर भूमि में से 50 हेक्टेयर भूमि पर कृषि महाविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया |
  • इसके लिए 5 वर्ष हेतु 116 करोड़ 32 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है |
  • प्रथम वर्ष में  यहाँ मात्र 50 विद्यार्थियों को प्रवेश प्राप्त किया जायेगा|
  • महाविद्यालय का शिक्षण सत्र 2016-17 में ही प्रारंभ किया गया है |

कृषि उत्पादन (krishi utpadan):

  • वर्ष 2014-15 में गेहूँ उत्पादन 171.03 लाख टन था, जो 2015-16 में बढ़कर 184.10 लाख टन हो गया |
  • 2014-15 के मुकाबले 2015-16 में गेहूँ उत्पादन में 7.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है वही प्रदेश में गेहूँ उत्पादकता बढ़कर 3115 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है जो गतवर्ष 2850 KGPH थी |

सर्वाधिक विकासदर हासिल करने वाला राज्य (GDP) :

  •  प्रदेश ने आर्थिक विकास दर के मामले में नयी ऊँचाई छुते हुए देशभर में विकसित राज्यों को पीछे छोड़ दिया है |
  • 16 मार्च 2014 को केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (CMO) द्वारा जारी वर्ष 2013-14 के आँकड़ो के अनुसार  GDP विकास दर  11.08% रही|
  • जबकि देश की आर्थिक विकास दर महज 4.86% के स्तर पर थी |

स्थिर भाव (Sthir Bhav) :

  • स्थिर भावो (वर्ष 2011-12) के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2015-16  (त्वरित) में 46783 रुपये थी |
  • जो बढ़कर वर्ष 2016-17 (अग्रिम) में 51852 रुपये हो गई|
  • गतवर्ष की तुलना में 10.84% की वृधि दर्शाती हैं |

प्रचलित भाव (Prachalit Bhav) :

  •  राज्य की शुद्ध प्रतिव्यक्ति आय (वर्ष 2015-16) में 62334 रुपये थी|
  • जो बढ़कर वर्ष 2016-17 (अग्रिम) में 72599 रुपये हो गई है |
  • गतवर्ष की तुलना में 16.47 % की वृद्धि दर्शाती है |
  • प्रचलित भावों पर ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन में सर्वाधिक रही |
  • जबकि रीवा, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया एवं झाबुआ जिलो में न्यूनतम स्तर पर रही है |

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