मध्यप्रदेश के मेले और त्यौहार | Fairs of MP | Festivals of MP

0
fairs-and-festivals-of-madhya-pradesh
fairs-and-festivals-of-madhya-pradesh

प्रस्तावना :

Fairs of MP : मेलों को मध्यप्रदेश की संस्कृति और रंगीन जीवन शैली का पैनोरमा कहा जा सकता है। इन मेलों में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप का एक अद्वितीय और दुर्लभ सामजस्य दिखाई देता है, जो कहीं और नहीं दिख पाता। अगर संख्या के बारे में देखा जाए, तो सबसे अधिक 227 मेलें, उज्जैन जिले में लगते हैं और होशंगाबाद जिले में आयोजित मेलों की संख्या 13 है। इनमें से अधिकांश मेले मार्च, अप्रैल और मई महीनों के दौरान  आयोजित होते है, जब  किसानों को खेतों  में कम काम  करना पडता है । जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर महीनों में कम मेलें लगते है, क्योंकी बरसात के दौरान किसान व्यस्त रहते हैं ।

01. सिंहस्थ :-

Fairs of MP : उज्जैन का कुंभ मेला, ‘सिंहस्थ’ के नाम से जाना जाता है, जो देश के भव्य और पवित्रतम मेलों में से एक है। यह बहुत ही उच्च धार्मिक मूल्यों वाला मेला है और हर बारह साल के चक्र में एक बार, जब बृहस्पति, राशिचक्र की सिंह राशि में प्रवेश करता है, तब इस मेलें का आयोजन होता है। पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर, पूरी भव्यता का प्रदर्शन करता यह मेला लगता है, जिसमें दुनिया भर के लाखों लोग अपने आध्यात्मिक उन्नयन के लिए शामिल होते हैं। वास्तव में, ‘सिंहस्थ’ का आयोजन स्थल होने के साथ उज्जैन के इस प्राचीन शहर को, भारत के बारह ज्येतिर्लिंगों में से एक होने का सम्मान भी प्राप्त है। इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण और उनके दोस्त सुदामा ने गुरु सांदिपनी ऋषि से शिक्षा प्राप्त थी। महान कवि कालिदास तथा सांदिपनी और भर्तृहरी जैसे संत भी इसी भूमि से है।

02. रामलीला का मेला :-

Fairs of MP : ग्वालियर जिले की भंडेर तहसील में इस मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला 100 से अधिक साल पुराना है, जो जनवरी-फरवरी महीने में लगता है।

03. हीरा भूमियां का मेला :-

  • ग्वालियर, गुना और आसपास के क्षेत्रों में ‘हिरामन बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध है।
  • माना जाता है कि हिरामन बाबा के आशीर्वाद से महिलाओं का बांझपन दूर हो जाता है।
  • पिछले कुछ शतकों से हर वर्ष, इस पूरे क्षेत्र में अगस्त और सितंबर के महीनों में हीरा भूमियां का यह मेला लगता है।

04. पीर बुधान का मेला :-

  • 250 से अधिक साल पुराना यह मेला शिवपुरी जिले के सनवारा में मुस्लिम संत पीर बुधान की कब्र के पास आयोजित किया जाता है।
  • अगस्त-सितंबर महीनों में इस मेले का आयोजन किया जाता है।

05. नागाजी का मेला :-

  • अकबर के समय के संत नागाजी की स्मृति में नवंबर-दिसंबर के दौरान इस मेले का आयोजन किया जाता है।
  • यह मेला मुरैना जिले के पोर्सा गांव में तकरीबन एक महीने के लिए लगता है।
  • पहले यहां बंदरों को बेचा जाता था, लेकिन अब अन्य घरेलू पशुओं को भी यहां बेचा जाने लगा है।

06. तेताजी का मेला :-

Fairs of MP : तेताजी को शरीर से सांप के जहर को दूर करने की शक्ति प्राप्त थी। पिछले 70 वर्षों से गुना जिले के भामावड़ गांव में तेताजी के जन्मदिन पर इस मेले का आयोजन किया जाता है।

07. जागेश्वरी देवी का मेला :-

Fairs of MP : अति प्राचीन काल से गुना जिले के चंदेरी में इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले का एक किस्सा बताया जाता है, जिसके अनुसार चंदेरी के शासक जागेश्वरी देवी के भक्त थे। उन्हे कुष्ठ रोग था। देवी ने उन्हे 15 दिनों के बाद एक जगह पर आने के लिए कहा, लेकिन राजा तीसरे दिन ही वहां आ गये। उस समय देवी का केवल सिर ही दिखाई दिया। राजा का कुष्ठ ठीक हो गया और उसी दिन से इस मेले की शुरूवात हुई।

08. अमरकंटक का शिवरात्रि मेला :-

Fairs of MP : अमरकंटक जिले मे, नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर शिवरात्रि पर यह मेला आयोजित किया जाता है।

09. महामृत्यंजय का मेला :-

Fairs of MP : रीवा जिले के महामृत्यंजय मंदिर में बसंत पंचमी और शिवरात्रि के दिन यह मेला लगता है।

10. चंडी देवी का मेला :-

Fairs of MP : सीधी जिले के घोघरा गाव में चंडी देवी का मंदिर है, जिन्हे देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। मार्च-अप्रैल में यह मेला लगता है।

11. शहाबुद्दीन औलिया बाबा का उर्स :-

Fairs of MP : मंदसौर जिले के नीमच में फरवरी माह में यह उर्स मनाया जाता है यहां बाबा शहाबुद्दीन की मजार है।

12. महामृत्यंजय का मेला :-

  • पश्चिमी निमर के पिपल्याखुर्द में एक महीने तक यह मेला लगता है।
  • लगभग 200 वर्ष पहले कालूजी महाराज यहाँ अपनी शक्ति से इन्सानों और जानवरों की बीमारी ठीक किया करते थे।

13. सिंगाजी का मेला :-

Fairs of MP : पश्चिमी निमर के पिपल्या गांव में अगस्त-सितम्बर में एक सप्ताह के लिए यह मेला लगता है।

14. धामोनी उर्स :-

सागर जिले के धामोनी नामक स्थान पर मस्तान शाह वली की मजार पर अप्रैल-मई महिने में यह उर्स लगता है।

15. बरमान का मेला :-

Fairs of MP : नरसिंहपुर जिले के गदरवारा में मकर संक्रांति से इस 13 दिवसीय मेले की शुरूवात होती है।

16. मठ घोघरा का मेला :-

Fairs of MP : शिवरात्रि के पर सिवनी जिले के Bhaironthan में 15 दिनों का यह मेला आयोजित किया जाता है।

17. आलमी तब्लीग़ी इजतिमा :-

Fairs of MP : इस तीन दिवसीय मण्डली को भोपाल में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर के रूप में मनाया जाता है। इज्तिमा हर साल आयोजित किया जाता है और उसके साथ एक मेला भी लगता है। इस इज्तिमा के दौरान पूरे शहर में आध्यात्मिकता की लहर उमडती है और दुनिया भर के मुसलमानों के ‘जामात’ (श्रद्धालुओं के समूह) यहाँ आ पहुंचते हैं। रूस, कजाकिस्तान, फ्रांस, इंडोनेशिया, मलेशिया, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, इराक, सऊदी अरब, यमन, इथियोपिया, सोमालिया, तुर्की, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों के ‘जामाती’ तीन दिनों के शिविर के लिए यहाँ आते है और अच्छे मूल्यों का पालन करते हुए ईमानदार जीवन जीने के लिए इस्लामी विद्वानों की पवित्र उपदेश सुनते हैं। बुद्धिजीवियों, छात्रों, व्यापारियों, किसानों आदि के लिए सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश देनेवाले विशेष धार्मिक प्रवचन भी यहां होते हैं।आध्यात्मिक संदेश देनेवाली यह सभा, दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभाओं में से एक मानी जाती है, जो न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्की सभी समुदायों के लिए यथार्थ मानी जाती है।

18. खजुराहो नृत्य महोत्सव :-

Fairs of MP : अपने पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में नामित, मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर में प्रति वर्ष फरवरी-मार्च के महीनों में शास्त्रीय नृत्यों के समृद्ध सांस्कृतिक रूप को देखने के लिए भारत और विदेशों से भीड़ उमडती है। चंदेलों द्वारा निर्मित शानदार वास्तुकला वाले मंदिरों के बीच, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शास्त्रीय नृत्य का यह खजुराहो नृत्य महोत्सव, देश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की दिशा में, आयोजक – मध्य प्रदेश कला परिषद का एक प्रयास है। इस सप्ताह लंबे महोत्सव के दौरान देश के हर हिस्से से लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य के कलाकारों को आमंत्रित किया जाता हैं। जानेमाने श्रेष्ठ कलाकार कथ्थक, कुचिपुड़ी, ओडिसी, भरतनाट्यम, मणिपुरी, और मोहिनीअट्टम जैसे भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का प्रदर्शन करते है। परंपरा और आध्यात्मिकता की ताकत इस प्रदर्शन को एक असामान्य और आकर्षक रूप प्रदान करती है। इन नृत्यों में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की अधिकांश संगत का प्रयोग किया जाता है। खजुराहो नृत्य महोत्सव के दौरान प्रदर्शन करना, भारतीय शास्त्रीय नृत्य कलाकारों के लिए विशेष सम्मान माना जाता है।

19. लोकरंग समारोह :-

Fairs of MP : भोपाल में हर साल 26 जनवरी अर्थात गणतंत्र दिवस से पांच दिनों तक चलनेवाला लोकरंग समारोह शुरू होता है। यह मध्य प्रदेश की आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक प्रदर्शनी है। पूरे देश भर से लोक संस्कृति और जनजातीय संस्कृति के प्रदर्शन और रचनात्मक पहलुओं को सामने लाने का यह एक प्रयास हैं। लोक नृत्य और जनजातीय नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, कला रूपों का प्रदर्शन इस लोकरंग की मुख्य विशेषताएं हैं। विदेशों की प्रस्तुतियों और प्रदर्शनियां भी इस समारोह का एक बड़ा आकर्षण हैं।

20. लोकरंजन महोत्सव :-

Fairs of MP : मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा खजुराहो में हर साल आयोजित लोकरंजन, लोक नृत्य का एक राष्ट्रीय महोत्सव है। भारत के विभिन्न भागों से लोकप्रिय लोकनृत्य तथा आदिवासी नृत्य और पारंपरिक कारीगरों की आकर्षक रचनाएं और शिल्प प्रदर्शन, इस महोत्सव में शामिल होते हैं। खजुराहो जैसे धरोहर शहर में आयोजित यह शानदार प्रदर्शनी, दुनियाभर में प्रसिद्ध मंदिर की महिमा और भव्यता उजागर करती है और साथ-साथ आदिवासी और ग्रामीण जीवन शैली के रंग और रचनात्मकता को जानने का अवसर प्रदान करती है।

Logic-Guru Quiz Competition हेतु प्रश्न का उत्तर निचे कमेन्ट बॉक्स में दे |
Q1- धमोनि उर्स कहा लगता है ?
Q2- तेजाजी का मेला कहा लगता है  …?

इसे भी पढ़े :

Click Here For Video Lecture On Youtube – Logic-Guru